͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β    ͏ β€Œ Β   ­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­ Β­
 ͏  ͏  ͏  ͏ ͏  ͏  ͏  ͏ ͏  ͏  ͏  ͏ ͏  ͏  ͏  ͏ ͏  ͏  ͏  ͏ ͏  ͏  ͏  ͏

Beste ,


Het kan zijn dat je van ons een mail hebt gekregen waarin staat dat je bijna jarig bent… maar dat klopt bij de meeste van jullie helemaal niet πŸ˜‰.
Onze verjaardagsmail ging per ongeluk naar een grotere groep dan bedoeld. Mocht je wél bijna jarig zijn, lucky you! Dan kun je de korting natuurlijk gewoon gebruiken, zowel in onze winkel (op vertoon van je legitimatiebewijs natuurlijk 😜) als op onze webshop.

Is jouw verjaardag nog lang niet in zicht?
Dan mag je deze mail negeren. Onze excuses voor de verwarring!


Bedankt voor je begrip, en wie weet… alvast een beetje pre-verjaardagsplezier? πŸŽ‰


Volg ons